“दोनों के फार्म भर गए हैं।” श्यामल कालू के कान में कह रही थी। “ग्यारह सितंबर इंटरव्यू की डेट मिली है।” उसने अहम सूचना दी थी। “हम दोनों का इंटरव्यू इन दोनों से पहले होगा!” श्यामल ने बात स्पष्ट की थी। “हम पास हुए तो ही ..” श्यामल तनिक मुसकुराई थी। “मंगी …”
“माने दारोमदार सब मंगी पर है?” कालू ने प्रश्न पूछा था।
“हा!” श्यामल मान गई थी। “मैं तो कहूं जी कि हमारा जनम सुधर जाएगा!” उसने कालू की आंखों में सीधा देखा था। “स्कूल की बिल्डिंग बाहर से जितनी शानदार दिखती है भीतर से भी गजब है!” श्यामल की आंखों में स्कूल की प्रशंसा एक अजूबे की तरह तैर आई थी। “मैं कहूं कि तभी हमारी गांव की पाठशाला में पढ़े लोग कहीं नहीं पहुंचते!” श्यामल ने अपनी राय पेश की थी।
कालू लंबे पलों तक चुप रहा था। रंगीन सपने थे – जो चले ही आ रहे थे। कालू परिवार का कायाकल्प हो जाएगा – उसे अब विश्वास हो गया था।
“ग्यारह सितंबर तो वरुण का जन्म दिन है न?” कालू ने श्यामल से पूछा था।
“क्यों ..? नौ का अरुण का है और ग्यारह का वरुण का!”
“इस बार दोनों का बर्थडे एक साथ मनाते हैं!” कालू ने श्यामल को छू कर कहा था। “ग्यारह को इंटरव्यू है। शाम को ही बर्थडे केक काटते हैं!” कालू हंसा था। “वो लोग यही तो चाहते हैं कि बच्चों के साथ-साथ बड़े भी बदलें!” कालू ने गुण ज्ञान की बात की थी।
“पते की बात है जी!” श्यामल गदगद हो आई थी। “अब हम लोग भी ..” उसने पलट कर कालू के खिले-खिले चेहरे को पढ़ा था।
दोनों बहुत प्रसन्न थे। दोनों को लगा था कि अब से उनका भी मानव योनि में प्रवेश होने को था। अब तक तो वो उधार का जीवन जी रहे थे। उन्हें तो कोई मनुष्य मानता ही नहीं था। वो तो लावारिस थे – काम के लहोकर मानो!
“राम चरन को भी बुला लेना बर्थडे पार्टी में?” श्यामल ने कुछ सोच कर बोली थी।
मात्र राम चरन के प्रसंग से ही कालू खबरदार हो उठा था।
“कौन है ये राम चरन?” कालू का अंतर आज फिर बोला था। “क्या इस पर आगे भी भरोसा करना होगा?” उसने अपने आगामी मनसूबों को गिना था। “अरुण वरुण के मेरी एंड जॉन्स में एडमीशन के बाद तो राम चरन का महत्व ..?
“बिजनिस पार्टनर बना लो न राम चरन को?” फिर से कालू के भीतर से आवाज आई थी। “बड़ा चतुर है!” कालू ने अपना मत कहा था। “एक अच्छा सहायक सिद्ध होगा – अगर घर का खाना मशहूर हुआ और व्यापार बढ़ा तो ..” कालू का अनुमान था।
“मंगी की तरह राम चरन भी हमारे लिए लकी है!” श्यामल ने कालू को जगा दिया था। “भाग भावना से ही कभी कोई अच्छा आदमी टकराता है!” श्यामल ने अभी तक की प्राप्त सफलता का सारांश सामने रख दिया था।
कालू को नींद नहीं आ रही थी। घर का खाना – दिन प्रति दिन मशहूर हो रहा था। कालू एक के बाद दूसरी रेहड़ी भी खड़ा करने की सोच रहा था। लेकिन बीच में अरुण वरुण का एडमीशन आ टपका था। किस्मत चल पड़ी थी – कालू को एहसास था।
“क्या राम चरन पर उसे भरोसा करना चाहिए?”
कालू ने प्रश्न को अनुत्तरित छोड़ दिया था।
मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड