ढोलू सराय के परी महल में आज अलग ही रंगत दिख रही थी।
शिव चरन का नाम करण संस्कार होना था। उत्सव की तैयारियां बड़े उल्लास के साथ संपन्न हुई थीं। नाम करण के बाद ब्राह्मण भोज था और दान दक्षिणा भी दी जाने वाली थी। कुंवर साहब चाहते थे कि इस उत्सव को पूरी सामर्थ्य लगा कर मनाया जाये। बड़े दिनों के बाद रनिवासों में रौनक लौटी थी। पुत्र जन्म होना ही ढोलू वंश के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी।
पंडित कमल किशोर आ चुके थे। उन्होंने नाम करण की पूरी तैयारियां तय कर दी थीं। इंद्राणी ने राम चरन की आरती उतारी थी। सुंदरी ने राम चरन के चरन स्पर्श किए थे और राम चरन ने भी कुंवर साहब के पैर छू कर आशीर्वाद लिया था।
मंत्रोच्चार के साथ परी महल गुंजायमान हो उठा था। पंडित कमल किशोर भी आज बहुत प्रसन्न थे और उनका मंत्रोच्चार भी बहुत आकर्षक था।
सुंदरी और शिव चरन दोनों को पंडित कमल किशोर ने चिरंजीवी होने के आशीर्वाद दिए थे।
“मुझे भी तो आशीर्वाद दो पंडित जी?” राम चरन ने हंसते-हंसते पंडित कमल किशोर को सचेत किया था कि वो भी पुत्र प्राप्ति की इस घटना में महत्व रखता था।
“आप तो स्वयं भू हैं श्रीमान!” पंडित कमल किशोर ने उत्तर में कहा था। “आपके नक्षत्र तो शिव के भी स्वामी हैं। आप तो ..”
“ये आप क्या कह रहे हैं गुरु जी?” राम चरन बीच में बोला था।
“सत्य संभाषण कर रहा हूँ यजमान!” पंडित जी ने मुसकुराते हुए कहा था।
राम चरन का हिया अंदर से हिल गया था। उसे आश्चर्य हुआ था कि पंडित कमल किशोर को उसके बारे में ये सब कैसे पता था? उसने यूं ही के अंदाज में पंडित कमल किशोर को टटोलना चाहा था।
“और गुरु जी हमारे नए नेता सुमेद जी क्या कर रहे हैं?” राम चरन ने प्रश्न पूछा था।
“हैदराबाद में हैं, संघमित्रा भी साथ में है। दोनों अब मिल कर मुहिम चला रहे हैं।”
“कैसी मुहिम?”
“वही, हिन्दू राष्ट्र बनाने की मुहिम!” पंडित जी बताने लगे थे।
“ये संघमित्रा कौन है?”
“पंडित प्रहलाद – काशी संस्कृत विद्यापीठ के प्राचार्य हैं। उनकी बेटी है। पहले मैं भी वहीं प्राचार्य था। ये दोनों साथ-साथ पले बढ़े हैं। दोनों .. ने?”
“शादी कर ली?”
“नहीं! दोनों ब्रह्मचारी हैं।” पंडित कमल किशोर ने बताया था। “दोनों ने हिन्दू राष्ट्र को ही अपना मिशन बनाया है। संघमित्रा बहुत अच्छा गाती है। ये देखो अखबार! लोगों की भीड़ देखो। हैदराबाद में एक सप्ताह से इनका प्रोग्राम चल रहा है, और ..”
“लेकिन .. लेकिन हैदराबाद ही क्यों?”
“वहीं आश्रम बना लिया है, सुमेद ने।” पंडित कमल किशोर ने सूचना दी थी। “दिल्ली उसे पसंद नहीं है।”
राम चरन को एक अजीब सा धक्का लगा था। हैदराबाद को तो इस्लाम का विश्व केंद्र बनना था। तय हो चुका था कि हैदराबाद ही ..
“आर एस एस ..?” एक कांटा और अचानक उगा था ओर राम चरन के मन में छिद गया था। कालू के दोनों बेटे आर एस एस में भर्ती हो गए थे। तो क्या वो भी?”
राम चरन का मन खट्टा हो गया था।
राम चरन को लगा था कि वक्त के परिंदे उड़ते ही चले जा रहे थे। तो क्या इस्लाम इनके पर कतर पाएगा?
भारत में शायद नया सवेरा होने जा रहा था।
मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड