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मैं हिन्दी हूँ!

हिन्दी दिवस
तुम मरणासन्न थे –
मैंने तुम्हें दूध पिलाया –
जिलाया और बड़ा किया!
तुम गुलाम थे –
मैंने तुम्हें ज्ञान दिया –
स्वतंत्र होने की प्रेरणा दी!
तुम समर्थ हुए –
मैंने तुम्हें संवाद दिये –
तुमने तहलका मचाया –
आजाद हुए!
अब तुम प्रबुद्ध हो –
मैं तुम्हें प्रज्ञा दूँगी –
ताकि तुम विश्व को प्रकाशित कर दो!
मैं तुम्हारी जननी हूँ –
मैं हिन्दी हूँ!
 
 
हिन्दी दिवस पर विशेष
मेजर कृपाल वर्मा   
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