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खानदान 154

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पिता के माँ से मिलने के लिए.. आने के लिये मना करने ने सुनीता को थोड़ी सी तसल्ली दिला दी थी.. कि ” चलो! अभी नहीं जाती.. जब पिताजी आने के लिये मना कर रहे हैं.. तो ठीक ही होंगी.. माँ! घबराने वाली कोई बात नहीं है!”।

यह सोचकर सुनीता माँ से मिलने अभी नहीं गई थी.. पर उसनें अपने पिता से माँ का हालचाल पूछने के लिए.. फ़ोन पर बातचीत जारी रखी थी।

” क्या हुआ.. बहनजी! आप बहुत ही परेशान लग रहीं हैं! सब ठीक तो है!”।

इसी दौरान सुनीता का एकदिन मंदिर जाना हुआ था.. और वहाँ बैठे एक वयक्ति ने सुनीता का चेहरा पढ़ लिया था.. बस! ऐसे ही इंसानियत के नाते पूछ बैठा था.. जिसके जवाब में सुनीता से रहा न गया और कहने लगी थी..

” बस! भइया!  ऐसी कोई बात नहीं.. पर माँ बीमार हैं! और I.C.U में भर्ती हैं.. इसलिए दिमाग़ बहुत परेशान था.. तो यहाँ चली आई!”।

” अरे! तो इसमें घबराने वाली कौन सी बात है.. आजकल तो डॉक्टर पैसा बनाने के लिए ही मरीज को I.C.U में भर्ती कर लेते हैं! वैसे क्या हुआ है.. माताजी को!”।

” कुछ नहीं भइया! घर फ़ोन किया था.. तो बता रहे थे..  भूख लगना बंद हो गई थी.. पेशाब आने में भी परेशानी हो रही थी”।

” अच्छा! फ़िर तो माताजी को urine infection हो गया है! मुझे भी एकबार यही परेशानी हो गई थी.. मुझे भी डॉक्टरों ने I.C.U में रख लिया था। कई महीने दवाई लेने के बाद में ठीक हो गया था! आप बिल्कुल मत घबराओ! मेरे हिसाब से तो माताजी को भी urine infection हो गया है.. अब उनकी उम्र है! तो समय तो लगेगा.. पर ठीक हो जाएंगी”।

मंदिर में कुछ परमात्मा की भविष्यवाणी इस प्रकार हुई.. कि जो उस व्यक्ति ने सुनीता से कहा.. वो उसके दिमाग़ में बात जम गई.. और फ़िर शाम को पिता से फ़ोन करते वक्त..

” हाँ! पिताजी! आप कह रहे थे. न माँ को भूख नहीं लगती और पेशाब जाने में भी तकलीफ़ है.. घबराने वाली कोई बात नहीं है.. माँ को urine infection है.. शायद! ठीक हो जाएंगी”।

” हाँ! पर….!!”।

मुकेशजी ने बात काटते हुए, कहा था।

” माँ की तबियत ज़्यादा ख़राब हो गई थी.. उन्हें वेंटिलेटर पर ले लिया गया है.. अपनी माँ के एकबार आकर दर्शन कर जाओ!”।

माँ की तबीयत को लेकर क्यों.. गलतफहमी का शिकार हो गई, थी.. सुनीता! क्या हो गया था.. असल में अनिताजी को!.

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