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जीने की राह सड़सठ

गाइनो ग्रीन ने अमरीश को एक विलेन बना कर दुनिया जहान के सामने खड़ा कर दिया था।

जब से अविकार पागलखाने से भागा था – गाइनो ने अमरीश को ही पकड़ा था। उसने सीधा सीधा इल्जाम अमरीश पर लगाया था कि उसी ने अविकार को पागलखाने से किडनेप कराया था और अब पुलिस उसका पता लगा कर नहीं दे रही थी।

“लालच बुरी बला है।” लोगों में चर्चा थी। “दोनों दोस्त थे। दोनों के परिवार आपस में प्रेम भाव से रहते थे। लेकिन लालच ..? पहले तो उन दोनों पति पत्नी को मार दिया और अब बेटे को किडनेप करा दिया – पागलखाने से!

गाइनो ग्रीन के वकील – जगदीश एंड ऐसोसिएट्स ने अमरीश पर सत्रह मुकदमे दायर कर दिए थे। जितने भी आरोप लगा सकते थे – लगाए थे और कोर्ट में अमरीश को नंगा खड़ा कर दिया था।

“योर ऑनर! गाइनो ग्रीन इज द गारजियन ऑफ अविकार!” सीनियर वकील रोशन की दलील थी। “अतः अवस्थी इंटरनेशनल को गाइनो के सुपुर्द किया जाए!” उनकी मांग थी। “दोनों का प्रेम था – अमर प्रेम! दोनों शादी करने वाले थे। लेकिन इन्होंने अविकार को ..”

“झूठ है योर ऑनर! अविकार को पागल गाइनो ने बनाया था ताकि उसकी सारी संपत्ति हड़प ले। अभी तक गाइनो ..” अमरीश के वकील ने झाग थूक फेंके थे लेकिन जज साहब ने सुनवाई नहीं की थी।

कोर्ट और लोगों की सहानुभूति गाइनो के साथ थी!

“क्या करूं सरोज?” विवश अमरीश रो पड़े थे पत्नी के सामने। “सब चौड़ा हो गया! लगता नहीं कि ये बला गाइनो अब हमें बचने देगी!”

“घर में बेटी भी तो क्वारी बैठी है!” सरोज की आवाज में दर्द था। “अंजली भी .. अविकार के लिए ..”

“क्या करें?” अमरीश पूछ रहा था।

सरोज चुप थी। क्या बताती? गाइनो लड़की थी, अविकार की प्रेमिका बताती थी और कानून उसके साथ था। लाख कोशिश करने के बाद भी अमरीश कोर्ट को विश्वास न दिला पाया था कि ऐक्सीडेंट में उसका कोई हाथ नहीं था। दोस्त की जायदाद हथियाने के लिए किया अपराध ..

किसी तरह से अविकार मिल जाए तो ही काम बनेगा – अमरीश जी!” वकील की राय थी। “पुलिस की थोड़ी सहायता मिल जाए तो ..?”

“पुलिस तो मुझे ही दोषी मानती है।” अमरीश टीस आए थे। “मेरा तो कोई विश्वास ही नहीं करता! इस छोकरी ने ऐसा नाटक खेला है कि सारा खेल ही उलट गया!”

“इसके खिलाफ अगर केस पड़ जाए तो ..?” वकील की सलाह थी।

“पुलिस मेरी कुछ सुने तभी न!”

“कोर्ट में केस डाल देते हैं!” वकील ने सुझाया था। “कोर्ट आदेश करेगा तो फिर पुलिस को तहकीकात करनी पड़ेगी!”

“ठीक है! डालिए!” अमरीश राजी हो गया था।

गाइनो को जब पुलिस ने इनक्वारी के लिए बुलाया था तो वह हचमचा गई थी।

“डॉन्ट वरी!” जगदीश ऐसोसिएट्स के सीनियर वकील रोशन हंस गए थे। “जूनियर को भेज देंगे!” उनकी सलाह थी। “पुलिस – अगर हमारे हक में रिपोर्ट लगा देगी तो और भी केस पक्का हो जाएगा, मैडम!” वह हंसते रहे थे। “अमरीश को छोड़ेंगे नहीं!” उन्होंने आश्वासन दिया था। “इतना मोटा तो हरगिज न खाने देंगे!”

गाइनो को सफलता की सीधी सड़क दिखाई दे गई थी।

मेजर कृपाल वर्मा

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