जीवन में कभी-भी हमनें यह न सोचा था.. कि कभी हम कोई कुत्ता पालेंगे। बस! कुछ ऐसा इक्तिफाक हुआ.. कि प्यारी काना हमारी गोद में आ बैठी और न चाहते हुए भी हमनें इस प्यारी सी गुड़िया को अपना लिया और अपनी पूरी ममता और प्यार देकर बड़ा किया। आज कानू हमारे घर का कुत्ता न होकर एक अहम हिस्सा बन गई है.. घर में घूमती हुई काना हमें हमारी सबसे छोटी सी बेटी नज़र आती है! न की कुत्ता!
दुनिया के लिये कानू जानवर है.. पर हमारे लिये बिल्कुल भी नहीं! खाने-पीने और रहना-सहना कानू का बिल्कुल हमारे ही जैसा है.. कुत्तों वाली कोई बात नहीं है।
कानू संग ऐसे ही हँसते-बोलते अच्छे दिन निकल रहे थे.. अचानक एक दिन हमारे बच्चे हमारे पास आकर बोले थे,” जानती हो माँ! टेलीविज़न पर एक नया कार्यक्रम शुरू हुआ है,” How to keep Pets तुम भी देखो ना! कानू को और अच्छी तरह से पाल पाओगी!”।
Pets सुनते ही एकबार को तो हम चिढ़ ही गए थे.. और कानू का नाम Pets के साथ आते ही हमें ग़ुस्सा भी आ गया था। पर फ़िर ग़ुस्सा शांत होते ही पल भर में दूसरा ख़याल आया था… ” अरे! भई! आख़िर कानू है.. तो कुत्ता ही! तो क्यों न कानू की और अच्छी देख-रेख के लिए हम भी बच्चों का बताया हुआ कार्यक्रम ” How to keep pets” देख डालते हैं। बस! बच्चों संग बैठकर पूरा कार्यक्रम देख व समझ डाला था।
कार्यक्रम से inspire होकर हम कानू के लिये बाज़ार से pedigree वगरैह भी ख़रीद लाए थे..
कानू के भोजन को हमनें pedigree से रिप्लेस कर दिया था.. और अन्य सभी कुत्ते पालने के तरीक़े भी ध्यान में रख लिये थे। सोचा था.. कानू को अब हम बेहतरीन तरीक़े से पालेंगें।
” अरे! यह क्या! Pedigree डाले हुए.. हमें दो दिन से ज़्यादा हो गए हैं.. पर काना ने तो मुहँ तक नहीं लगाया है.. अब इतना अच्छा कुत्तों वाला भोजन नहीं खाएगी तो कैसा चलेगा!”
दिन और बीत गए थे.. कानू को pedigree बिल्कुल भी न भाई थी.. हमारी भोली और प्यारी कानू एकदम कमज़ोर और सूखने लगी थी.. कानू का चेहरा देखकर ऐसा लग रहा था, मानो हमसे कह रही हो..
” हमें अच्छा और टेस्टी वाला खाना क्यों नहीं दे रही हो.. माँ! हम कोई बीमार थोड़े ही हैं”।
कानू के यह शब्द विचार करने योग्य थे.. और काना का मासूम सा चेहरा देख.. हमनें अपना ” How to keep pets” वाला आईडिया बदल दिया था।
pedigree को हमनें कानू के बाउल में से निकाल कानू के मन-पसन्द कढ़ी चावल कानू को परोसे थे..
बड़े दिनों बाद आज कानू मन-पसंद खाना खाकर ख़ुश थी.. ” How to keep pets” वाला आईडिया कुत्तों के लिये होता होगा! हमारी कानू कोई कुत्ता थोड़े ही है.. जो हम कुत्तों के विषय में कार्यक्रम देखेंगे और पढ़ेंगे!
जो लोग कुत्ता पालते हैं.. वही पढ़ें और उससे जुड़े कार्यक्रम देखें!
इसी सोच को लेकर हमनें अपनी कानू बिटिया के कढ़ी-चावल लगे हुए प्यारे और कोमल से गाल को चूमा था.. और कानू को अपने मन में एकबार फ़िर से नन्ही सी गुड़िया की जगह देते हुए.. हम सब चल पड़े थे.. कानू संग जीवन की ओर।
आपके अनुसार भी हमारी कानू एक नन्ही सी गुड़िया ही है! न! या फ़िर आपको भी लगता है.. कि हमें ” how to keep pets” पढ़ना चाहिये था.. कानू के लिए अपनी राय और सुझाव हमें लिखकर भेजें.. और जुड़े रहें यूँहीं कानू के प्यारे किस्सों के साथ।

