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गोविंदा आला रे!

सवेरे से ही आज रसोई में पकवानों की खुशबू आ रही है.. आलू की पकौड़ियों के साथ-साथ माँ ने आज आलू का देसी घी में हलवा और साबूतदाने की खिचड़ी भी पकाई है.. काले-नमक और काली मिर्च में भुनी हुई मूंगफली की खुशबू ने सारे घर को महका रखा है.. आज तो जम कर दावत खाएँगे! पर कहने के लिये आज हमारा उपवास भी है..

असमंजस में न पड़ें मित्रों!  न ही परिवार में कोई रीति-रिवाज़ किया जा रहा है! और न ही परिवार के किसी सदस्य का जन्मदिवस है.. 

आज हमारे आँगन में यह सभी तैयारियाँ श्री कृष्ण जन्मोत्सव हेतु की गईं हैं.. श्री कृष्ण जन्माष्टमी! पूरे भारत मे अलग-अलग ढँग से मनाया जाने वाला.. श्री कृष्ण भगवान का जन्मदिन।
मित्रों! अधिकांश भारत में यह जन्मदिन उपवास रखकर ही मानाया जाता है.. पूरा दिन कृष्ण जी के नाम का व्रत रखा जाता है.. और रात को बारह बजे श्रीकृष्ण भगवान के जन्म के पश्चात पूजा कीर्तन आदि के बाद भोजन को भोग लगाया जाता है.. अब सवेरे से रात के बारह बजे तक व्रत करना.. कोई आसान बात तो है! नहीं! इसलिए घरों में व्रत का भोजन पकाया जाता है.. जो लोग भूख बर्दाश्त नही कर सकते.. वे थोड़ा-थोड़ा दिन में व्रत का भोजन ग्रहण करते रहते हैं.. 

पर मित्रों हमारी बात तो कुछ और ही है.. असल में भगवान कृष्ण के जन्मदिन पर हम उपवास रखते ही.. अपनी माँ के स्वादिष्ट व्रत के वयंजन खाने के लिये ही हैं। और वैसे भी हमारी एक सहेली जो कि दक्षिण भारत से थीं.. उसनें हमें बताया था.. कि कृष्णजन्माष्टमी के अवसर पर दक्षिण भारत के मंदिरों में भंडारा होता है.. और सभी भक्तगण पेट भर भोजन करते हैं! आख़िर भगवान का जन्मदिन है.. भूखा रहने का तो कोई तातपर्य ही नहीं है.. बस! जो सुनना चाहते थे.. कृष्ण जी ने वही बात दिमाग़ में डाल दी.. बस! फ़िर क्या था.. हर कृष्णजन्माष्टमी वाले दिन.. व्रत के भोजन से खूब भोग लगा लेते हैं।

खैर! भारतवर्ष अनेकता में एकता लिए हुए.. श्री कृष्ण भगवान के जन्म को धूम-धाम से मनाता है.. मंदिरों में भगवान के जन्म को लेकर रात बारह बजे से रंगा-रंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.. मंदिर सजाए जाते हैं.. मथुरा में जो कि भगवान का जन्मस्थल है.. वहाँ देखने लायक जन्माष्टमी का आयोजन होता है.. मथुरा वृंदावन की कृष्ण लीला को देखने के लिए.. विदेश से लोग आते हैं.. कृष्ण जन्माष्टमी का यह पर्व हमारे ही देश में नहीं बल्कि विदेश में भी कुछ जगहों पर धूम-धाम से मनाया जाता है।

और फ़िर ” गोविंदा आला रे!” अपना महाराष्ट्र! और गुजरात! जहाँ विशेष रूप से दही हांडी फोड़ कर यह त्यौहार बेहद धूम-धाम से मनाया जाता है।

मित्रों! इस पूरे विश्व में चाहे कितने भी धर्म हों.. लेकिन हिन्दू धर्म की मान्यता और लोकप्रियता का कोई मुकाबला नहीं है.. आज भी हिन्दू धर्म के भगवानों का स्थान और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों का स्थान सर्वोपरि है।श्री कृष्ण जी द्वारा दिए गए गीता के उपदेश आज भी देश लागू कर रहा है।

” घर में पधारो नंदलाल रे!”।

रात को बारह बजते ही भगवान श्री कृष्ण का जन्म हो जाता है.. बाल-गोपाल को झूला-झुलाते हुए.. जन्मदिन की बधाई के कीर्तन व भजन शुरू होते हैं.. ऐसा माना गया है.. कि बाल-गोपाल को झूला झुलाने से पाप ख़त्म हो जाते हैं।

यह तो रही जन्माष्टमी के विधि-विधान की बात! हाँ! पर जहाँ से क़िस्सा शुरू हुआ था.. वहीं ख़त्म करते हुए.. हमारा भी व्रत माँ के स्वादिष्ट पकवानों के साथ ख़ूब सम्पन्न होता था.. रात बारह बजे भगवान के जन्म पर मंदिर पहुँच कर कार्यक्रम का आनंद उठाते हुए.. कृष्ण भगवान को झूला-झुलाकर व प्रसाद ग्रहण कर घर वापस हो लिया करते थे।

आप सभी मित्रों को भी हमारी तरफ़ से श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई!

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