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अब मैं फिर अकेला छूट गया था ?

नरेन्द्र मोदी

Image by Sambeetarts on Pixabay

महान पुरुषों के पूर्वापर की चर्चा !

भोर का तारा -नरेन्द्र मोदी .

उपन्यास -अंश .

मात्र मेरे आने से गुजरात भवन में …गहमा-गहमी बढ़ने लगी थी !

मैंने तो अपने दिल्ली आने की सूचना किसी को भी नहीं दी थी ? मैं तो अपना ये छोटा वक्त अपने ही लिए खर्च करना चाहता था ! सांस लेना चाहता था …और अपने ही भीतर झाँक कर …अपने आप से दो-दो बातें करना चाहता था …? लेकिन ….

“चोर की तरह घुस आए , दिल्ली में ….?” मेरे आगंतुक मित्र मुझे पूछ रहे थे . “पहले तो कभी ऐसा नहीं हुआ …?”उन का उल्हाना था .

“अरे,भाई ! अब तो बात ही बदल गई …?” दूसरा कह रहा था . “देश के …प्रधान मंत्री …..?” सब अब मुझे एक साथ देख रहे थे . मुझे भी लगा था जैसे मैं कोई अजूबा ही था ? या मैं कोई नया आदमी था -जो यों ही दिल्ली चला आया था -चुपचाप …? “अब तो …..” मुझ पर एक प्रश्न चिन्ह लग गया लगा था .

दिल्ली में सर्दी हो गई थी . मैंने कन्धों पर पड़े शाल को पूरे बदन पर खींच लिया था . अब मुझे एक गर्माहट महसूस हो रही थी . एक अनाम-सा सुख पी रहा था – मेरा शरीर ! तभी मैंने महसूसा था कि आगंतुकों की संख्या लगातार बढती ही जा रही थी ?

“आप के नाम के साथ-साथ ‘गोधरा’ का नाम भी उछला है ?” कोई कह रहा था . “ये देखिए ! लिखा है -नरेन्द्र मोदी के इशारों पर ही सब हुआ ….और नरेन्द्र मोदी ही ….”

“कांग्रेस को कम मत कूतलेना, बाबू जी …?” कोई अपरिचित था जो बता रहा था . “इन को नाव डूबोनी आती है ! आप तो भले आदमी हैं ….लेकिन ये कांग्रेसी …..?”

“दिल्ली में भले लोग नहीं रहते,भाई जी ….?” किसी ने कहा था और सब हंस गए थे . “आप की तरह ही तो अन्ना आए थे …? जन-लोकपाल ला कर भ्रष्टाचार मिटाना चाहते थे ? देश में होती लूट को रोक कर ….एक ईमानदार शाशन प्रणाली कायम करना चाहते थे …?” अब उन्होंने मुझे ऊपर से नीचे तक निहारा था . “संत हैं – अन्ना …? सीधे हैं …??” कह कर उन्होंने फिर से मुझे घूरा था . “पर आपसे मेल नहीं खाते …?” कह कर वो व्यक्ति हंस गया था .

फिर एक चुप्पी लौटी थी . मैं तनिक गंभीर था . अन्ना हजारे की हार मुझे अच्छी न लगी थी . लेकिन मैं करता भी तो क्या …? अन्ना हजारे ने डाक्टर मनमोहन सिंह की सरकार के साथ … जोर-शोर के साथ अखाड़ा रोपा था …? देश का मीडिया अन्ना हजारे को हथेलियों पर रख-रख कर …उछाल रहा था ! देश में एक लहर दौड़ गई थी . लोगों को लगा था कि …अंत में उन्होंने अपने इच्छित मसीहा को पा लिया था …देख लिया था ….!!

“जनता को भरोसा हो गया था कि …अन्ना ..हमारे देश के एक ईमानदार …क्रांति के संवाहक बनेंगे …और भ्रष्ट कांग्रेस को समाप्त कर देंगे …?” मनोज जी बताने लगे थे . “देश की जनता प्यासी है,भाई जी !” उन्होंने मुझे स्नेह से संबोधित किया था . “जनता को एक ईमानदार जन-नायक की ज़रुरत है …?” उन की मांग थी .

मैंने अचानक ही अपने आप को टटोला था ! अचानक ही मैं अन्ना हजारे की बगल में आ खड़ा हुआ था …और अपना कद नाँपने लगा था …?

“आप के मुकाबले के लिए …तो कांग्रेस …ने .’राजा हरिश्चंद्र की संतान’ उर्फ़ – अरविन्द केजरीवाल को ईजाद कर लिया है !” मैं फिर से लोगों के विचार सुन रहा था . “अब कांग्रेस आप को घोर साम्राज्यवादी …हिन्दू आतंकवाद का संवाहक …और …” वो तनिक ठहर गए थे . फिर तनिक हँसे भी थे . “और …एक ‘रसिया’ ….एक ‘रसिक’ की भूमिका में …अपनी डर्टी -ट्रिक्स के ज़रिए …सरनाम करेंगे …बुरी तरह से बदनाम करेंगे ….”

“रसिया ….?” किसी ने प्रश्न पूछा था .

“अरे,क्यों …? वो जासूसी काण्ड ….फिर से खोल रहे हैं …?” साफ़ उत्तर आया था .

“क्या नाम है …उस … लड़की का ….अरे …उस महिला …का ….? हाँ,हाँ ….वो …”

मेरा तो माथा ही घूम गया था . मुझे स्त्रियों के प्रकरणों से ..बहुर ज्यादा डर ..लगता है …? एकबारगी …जासूसी काण्ड का जिक्र आते ही …मेरी आँखों के सामने ..’माधुरी’ का मासूम चेहरा उभर आया था …और मुझ से विनय करने लगा था कि …मैं उस की इज्ज़त बचा लूं …? फिर ‘चित्रा’ का चेहरा …और फिर …क्रिस्टी ….शारदा …निवेदिता ….और फिर …हाँ,हाँ …फिर था जसोदा का चेहरा …?

लेकिन आज मैंने पाया था कि …ये सभी श्रेष्ठ नारियां ..मेरा रक्षा -कवच बन …मेरे साथ खड़ी हो गईं थीं ! मेरी गवाही दे रहीं थीं …कि ..मैं नरेन्द्र मोदी …बदचलन नहीं था ….!!

“केजरीवाल आप को दिल्ली में नहीं घुसने देगा …? इस बात के कॉल-करार हो चुके हैं ….??” मनोज बता रहा था . “ये कोई नया नहीं है ! बहुत गहरा है …? इस का इतिहास ..नौकरी छोड़ …राजनीति में कमाने आना है …? और कांग्रेस को तो इसी प्रकार के मुहरे चाहिए …?”

“कर क्या लेगा …?” एक सज्जन ऊंचे स्वर में बोले थे . “लोग इसे पहचान गए हैं …? जब से इस ने अन्ना के साथ दगा खेली है …..लोग अब इसे लाईक नहीं करते …? और जो जमाबडा इस के आस-पास है …सभी भ्रष्ट है …! मनीष सिसोदिया भी तो …इस के साथ …एन जी ओ ही चलाता था …? और ये जज ..प्रशांत भूषन तो …महा चोर है …और वो …”

“ये तो सब सतही है,श्रीमान !” अब की बार एक और सज्जन आगे आ कर बोले थे . “केजरीवाल की जड़ें बहुत ही गहरी हैं ….! आप जानते है न कि इन्हें ‘रिमां -मैग्सेसे -अवार्ड ‘ मिला है …? इस पुरूस्कार को एशिया का ‘नावेल पुरूस्कार’ माना जाता है ?” वो बता रहे थे . “ये सारी संस्थाएं एक हैं ! और इन का उद्देश्य भी एक है ! अमेरिका के लिए काम करती हैं ! उन की नीतियों को लागू करती हैं . उन्ही का हित देखती हैं . कहती हैं – हम आप का भला करेंगे ….पर करती हैं – हमारा बुरा ….?

“ये देश को फिर से गुलाम बनाने की साजिश है, मोदी जी …?” एक युवक जोरों से बोला था . “ये सारे कांग्रेसी ….और ‘आप’ वाले …सत्ता की दलाली कर रहे हैं …? इन में कोई नेता नहीं …सब रंगे सियारों की भोंग हैं …! मरे का मीट …खाते हैं, ये …? आपने पहले इन पर फतह पानी है …?” उस ने आग्रह किया था .

एक नया ही द्रश्य खड़ा हो गया था ! पूरा विदेश मेरे विपक्ष में खड़ा था …? देश में उन के दलाल पग-पग पर बैठे थे …और जनता को गुमराह करने का काम कर रहे थे …? पानी की तरह बहा रहे थे …पैसे को …और लोग ….?

“लोग प्यासे हैं,मोदी जी …?” फिर एक युवक बोला था . “एक महान पुरुष चाहिए …ये ही पवित्र प्यास है …प्यासे जन-मानस की ….? अन्ना एक आस के बादल की तरह उदय तो हुए थे …पर बेचारे …साजिश का शिकार हो कर लौट गए …?” उस ने हम सब को निराश निगाहों से तोला था . “आईये आप …स्वागत है …आप का ….लेकिन ….” वह चुप हो गया था .

“मैं करता हूँ,खुलासा ….!” मनोज फिर से बोले थे . “दो सौ करोड़ का चंदा इकठ्ठा हुआ था …अन्ना जी के लिए …! लेकिन अरविन्द ने इन्हें दो करोड़ दे कर …भेज दिया ….”

“और वो जो उन की …’सर्वस्व त्याग’ वाली छवि थी …उसे दिल्ली की सडकों पर फाड़ कर फ़ेंक दिया …? और कहा – ‘अन्ना सोच लेना ..? बोले तो …देख लेना कि मैं कितना कमीना हूँ ….?”

“अच्छा …आदमी नहीं चलता …यहाँ, मोदी जी ….?” समवेत स्वर में एक नारा जैसा ही गूंजा था .

मेरे भीतर लपक कर एक तूफ़ान प्रवेश कर गया था ….!!

रात के बारह बज गए थे . अतः मैंने स्टाफ को बुला कर भोजन के प्रबंध के लिए कहा ! मैंने स्थिति समझ कर जो भी दाल-रोटी संभव हो सकती थी -बना कर टेबिल लगाने को कह दिया था .

“मैं एक मुसलमान हूँ, मोदी जी …!” एक चौड़ा-चकला युवक मेरे सामने आ खड़ा हुआ था . “मेरा नाम याकूब है . मेरी बहिन गुजरात में रहती है ….और मैं कांग्रेस सरकार की धर्मनिरपेक्ष की नीतियों को …बुर्के में बाँध कर कैसे चलाया जाता है – जानता हूँ ! २० फीसदी मुसलमान वोट बैंक को लेने के लिए …इन्हें धार्मिक और भावनात्मक मुद्दों पर ब्लैक मेल किया जाता है ! लड़ाया जाता है -इन्हें हिन्दूओं से …और फिर पुचकार कर पास बिठा लिया जाता है ! देते कुछ नहीं हैं . गरीब और अनपढ़ बना कर रखते हैं . और ….”

“मैं तो कहता हूँ,श्रीमान कि …सोनियां गाँधी के नेतृत्व में …चल रही मनमोहन सिंह सरकार …औरंगजेब के बाद इस देश की …सर्वाधिक सांम्प्रदायिक सरकार है …? ये देश को बांटने वाला खेल खेल रहे हैं …! अब मुसलमानों के आरक्षण की बात भी सामने है ? सच्चर ..जैसे एजेंटों ने तो ….” बुजुर्ग व्यक्ति थे कोई जो बता रहे थे .

“और भाई जी …! कहने को तो मनमोहन देश के प्रधान मंत्री हैं …लेकिन ये तो एक ‘पेटीकोट’ सरकार चल रही है …? इस में समाज में घ्रणा और..द्वेष फैलाने वाली तीस्ता शीतल बाड ,शबनम हाशमी ….हर्ष मंदर …कमाल फारुखी …और मंजूर आलम जैसों की …जमात शामिल है ? इन का कहना है कि हिंसा -बहुसंख्यक – याने कि हिन्दू करता है …और अल्पसंख्यक -माने कि मुसलमान – पीड़ित है ! जब कि आंकड़े बताते हैं कि …९० प्रतिशत दंगे मुसलमानों की ओर से आरंभ हुए हैं ?” कोई समाज सेवक थे जो अपनी पीड़ा का इज़हार कर रहे थे .

सटीक बातें मेरे सामने आ रहीं थीं . मैं हैरान था कि …देश तो जाग्रत था …और लोग सब कुछ जानते थे …? लेकिन इन्हें मूर्ख समझने की मूर्खता करते …हमारे राज-नेता …एक गहरे गर्त की ओर ..अग्रसर होते लगे थे – मुझे …?

खाना टेबिल पर था . हम सब प्रेम से भोजन कर रहे थे . जिसे जो मिल पा रहा था -वो उसे प्रसन्नता पूर्वक ग्रहण कर रहा था ! मैं सब के साथ था ….उन के पास था …उन का था …और इन में से ही एक था ….! ये मेरी आदत ही है ….कोई दिखावा नहीं है ….?

“खाना तो कांग्रेस वालों को ही आता है,मोदी जी ….?” एक युवक कहने लगा था . “पाँच सितारा होटलों में …चिकिन चलता है …? उम्दा व्हिस्की पेश होती है ! और ….और फिर …..?” वह हंस गया था . “मैं कोई झूठ नहीं कह रहा …? देश को खाए जा रहे हैं – ये बईमान …?” उस ने कोसा था -कांग्रेस को .

किसी ने भी उस युवक का विरोध नहीं किया था …? लागा था – अब देश कांग्रेस से तंग आ गया था ….???

“बी जे पी …अब तक आम आदमी पार्टी को नज़रन्दाज़ करती रही है …?”अचानक ही कोई कहने लगा था . मैं सतर्क हो गया था . “केजरीवाल यही तो गेम खेल रहा है …? है तो कांग्रेस का पर …दिखाता है – बी जे पी , का …? देखा …? कितनी चालाकी से केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ …साथ बी जे पी को भी बईमान बता दिया …और चुनाव जीत लिया …? हा हा हा ….! बहुत तेज वस्तु है – ये कजरी …..?” उस ने ठहाका लगाया था .

“और अब तो …राष्ट्रीय -राजनीति में …आने जा रहे हैं …? कहते हैं – खराब अर्थव्यवस्था , बढ़ती कीमतें …और विदेश-नीति …उन्हें शीघ्र निपटाना होगा …? वरना …देश …..”

“पर बात कुछ और ही है,प्यारे ….?” कोई देशवाल बोले थे . “मनमोहन की नाकामी ने इन’नरेन्द्र मोदी जी’ को लोगों की आवाज़ बना दिया है ! इस डर से कांग्रेस ने …केजरीवाल का ‘पत्ता’ खेला है …? केजरीवाल का काम है – देश की राजनीति को अस्थिर करना …और मोदी को सत्ता में आने से रोकना …?”

“कैसे ….? लेकिन क्यों ….?” प्रश्न पैदा हो गए थे .

“इसलिए कि …अगर मोदी एक बार सत्ता में आ गए तो ….केजरीवाल की दुकान हमेशा के लिए बंद हो जाएगी ….?” कहते हुए उन्होंने हाथ झाडे थे . “ये मुहरा तो मात्र दलाली ही कर रहा है …? ये कोई मसीहा नहीं है ….? लोग गच्चा ..खा गए …अन्ना के आने से ….?” उस ने बात को स्पस्ट कर दिया था .

सुबह के चार बज गए थे ! अचानक ही भीड़ छटने लगी थी . जो आए थे …वो जा रहे थे …पर खाली हाथ न लौट रहे थे …?

“आज खुले में …आप के दरस-परस हो गए ….., मोदी जी !” एक बुजुर्ग बता रहे थे . “वक्त का क्या भरोसा ….?” कह कर वो हंस गए थे . “परमात्मा आप को अवश्य समर्थ बनाएंगे ….! आप युग-पुरुष हैं ….!! देश आप को पुकार रहा है ….,सुन तो रहे हैं न …आप ….?” कह कर वो आदमी भी चलता बना था .

अब मैं फिर अकेला छूट गया था ….??????

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श्रेष्ठ साहित्य के लिए -मेजर कृपाल वर्मा साहित्य !!

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