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रजिया भाग 71

रज़िया, Razia

मूडी का मूड बहुत खराब था। स्पाई फ्रंट का सारा काम रुका खड़ा था। बरनी के लाख समझाने के बाद भी मूडी उसकी बात नहीं मान रहा था। सर रॉजर्स अब बरनी की मदद के लिए साथ आए थे और वो तीनों आमने सामने बैठ समस्या से जूझ रहे थे।

“मेरा कहना है सर कि पहले मूडी समर कोट चला जाए। वहां जा कर देखे कि मखीजा ने क्या-क्या हासिल किया है। अगर कोई ..”

“क्या हम समर कोट पर जंग लड़ रहे हैं?” मूडी ने बीच में ही सवाल पूछ लिया था।

“नहीं तो।” उत्तर सर रॉजर्स ने दिया था।

“तब समय नष्ट क्यों करें?” मूडी का प्रश्न था। “सर, नाओ दि टाइम इज एट द प्रीमियम।” मूडी जोर दे कर बोला था। “मैंने रघुनाथन से रिपोर्ट ली है। आई टैल यू सर कि जो कुछ रघुनाथन मर्दन हल्ली में कह सुन रहा है लोगों से अगर आप उसे सुनेंगे तो बावले हो जाएंगे।” मूडी ने सर रॉजर्स और बरनी को एक साथ देखा था। “वह कहता है कि उसने समर कोट में जाकर साक्षात भगवान के दर्शन किए हैं। जालिम भगवान है। जालिम ..” रुका था मूडी।

सर रॉजर्स सतर्क हो गए थे। बरनी का भी चेहरा बिगड़ गया था।

“और अगर आप रघुनाथन का कहा वो सब सुन लेंगे जो वो समर कोट के बारे कहता है – स्पाई फ्रंट फेल हो जाएगा।” मूडी ने ऊंची आवाज में कहा था।

“योर प्लान ..?” सर रॉजर्स ने मूडी से सीधा प्रश्न पूछा था।

“हैदराबाद।” मूडी अब बेधड़क बोला था।

बरनी का चेहरा फिर से उतर गया था। वह कुछ कहना तो चाहता था पर डर रहा था।

“जालिम 9 दिसंबर को हैदराबाद पहुंच रहा है – ये एक ठोस सत्य है।” मूडी ने जोर देकर कहा था।

“वह रोलेंडो से मिलने आ रहा है।” मूडी की आवाज में तनिक सा रोष था। “और अगर रोलेंडो ही समर कोट चला गया तो ..?” मूडी ने बरनी को आंखों में देखा था।

“सारा खेल बिगड़ जाएगा।” सर रॉजर्स ने माना था। “तुम्हें पहले हैदराबाद को ही संभालना चाहिए।” सर रॉजर्स की राय थी।

“एग्जैक्टली।” मूडी गरजा था। “रोलेंडो और रजिया दो मुख्य आइटम हैं – स्पाई फ्रंट के, जालिम को परास्त करने के लिए।

“यस। यू आर ऑन द टारगेट।” सर रॉजर्स मान गए थे।

“स्पाई फ्रंट में सबसे कमजोर और सबसे शक्तिशाली एक ही नाम है सर” मूडी ने गंभीर स्वर में कहा था। “और वो है – सोफी, आई मीन रजिया बेगम।” मूडी मुद्दे पर आया था। “आप की ही लगाई कंडीशन है कि जालिम को जीते जी अरैस्ट करना है और स्पाई फ्रंट पूरी तरह से साइलेंट बना रहेगा तो ..?” मूडी रुका था। उसने अब सर रॉजर्स और बरनी को प्रश्न वाचक निगाहों से देखा था।

“तो ..?” बरनी ने प्रति उत्तर में पूछा था।

“तो – मेरा शक है कि जो रघुनाथन ने बताया है उसके अनुसार तो जालिम को जिंदा पकड़ना नामुमकिन है। वह इतना सबल है, शक्तिशाली है और लंबा चौड़ा है कि सोफी ..?”

“सोफी ही क्यों – राहुल, कालिया, बतासो और तुम स्वयं ..?” बरनी ने सब के नाम गिनाए थे। “तुम पांच लोग होगे ..?”

“लेकिन लीड में तो सोफी ही है। एंड शी इज ए सॉफ्ट टारगेट फॉर जालिम।” मूडी ने सामरिक गणित बिठा कर कहा था।

बरनी ने सर रॉजर्स की ओर देखा था। सर रॉजर्स ने जैसे मूडी की दी चुनौती को स्वीकार किया था।

“मूडी। लैट मी टैल यू सन। सोफी इज नॉट ए सॉफ्ट टारगेट। उसके दिमाग में तो निरा बारूद भरा है, बेटे।” सर रॉजर्स हंसे थे।

बरनी ने ताली बजाई थी तो मूडी भी हंस पड़ा था।

जालिम 7 तारीख को दिल्ली और 9 तारीख को हैदराबाद पहुंच रहा था। खबर दलालों के पास पहुंच गई थी। एक तूफान जैसा उठ खड़ा हुआ था। सभी अपने-अपने माल की खपत के नए-नए सुराग तलाश रहे थे। सबको पता था कि जालिम खुले हाथों मोल देता था और बदले में जो मिले ले लेता था।

रात के दो बजने को थे लेकिन गुलाम अली का फोन बजने से बंद होकर न दे रहा था। होड़ लगी थी दलालों की और हर कोई गुलाम अली के माध्यम से माल खपाना चाहता था। सभी जानते थे कि गुलाम अली की मारी हलाल थी। उसका कहा होता था।

तभी गुलाम अली के घर के दरवाजे की कुंडी बज उठी थी। लगा था कोई जरूरतमंद होगा।

“आप कौन ..?” गुलाम अली ने तनिक सा दरवाजा खोला था तो एक औरत नजर आई थी।

“रजिया सुल्तान।” बुर्के में लिपटी उस औरत ने आहिस्ता से नाम बताया था।

गुलाम अली सकते में आ गया था। माजरा क्या था – उसकी समझ में न आया था।

“आइए! अंदर बैठिए।” गुलाम अली ने दरवाजा पूरा खोल दिया था।

रजिया सुल्तान घर के अंदर दाखिल हुई थी। हौले-हौले चल कर बैठक में पड़े सोफे पर आकर इस तरह गिरी थी मानो उसे चक्कर आ गया हो। गुलाम अली उसके सामने आ कर खड़ा हो गया था।

“फरमाइए।” गुलाम अली ने सहमते हुए पूछा था।

“मैं एक हिन्दू गर्ल हूँ।” रजिया सुल्तान ने गुलाम अली को परिचय दिया था। “दुखियारी हूँ।” उसने बयान किया था। “आप के पास मदद के लिए ..?” रजिया सुल्तान का गला भर आया था। वह रो पड़ना चाहती थी।

“मेरा पता किसने दिया?” गुलाम अली ने पूछा था।

“वहां .. चार मीनार पर पंडित परम ब्रह्म ने बताया की – गली नम्बर सात, मकान नम्बर तेरह, मोहल्ला नबी कुरान में गुलाम अली के पास जाकर मदद मांगूं।” रुकी थी रजिया सुल्तान। “दिन में डर की वजह से मैं होली सराय में रुक गई। मुमताज ने शरण दे दी।” रोने लगी थी रजिया सुल्तान। “वरना तो .. पकड़ी जाती तो ..?” रजिया सुल्तान की आंसुओं से भरी आंखें गुलाम अली ने देख ली थीं।

गुलाम अली रजिया सुल्तान के हुस्न को देख दंग रह गया था।

“चाय नाश्ता लेंगी?” गुलाम अली ने पूछा था। “खाना खाया था?” उसका अगला प्रश्न था।

चांद अब बदली में छुप गया था। रजिया सुल्तान हिचकोले ले-लेकर बुर्के के भीतर रो रही थी। गुलाम अली अंदर तक पसीज गया था।

“चाय नाश्ता ले लीजिए।” गुलाम अली बोला था। उसने नौकर को आवाज दी थी। “चाय नाश्ता लगाओ। और हां, ऊपर का कमरा इनके आराम फरमाने के लिए खोल दो।” उसने आदेश दिया था।

रजिया बेगम ऊपर के कमरे में आराम फरमाने चली गई थीं। गुलाम अली को लगा था जैसे उसके जीवन में पहली बार एक ऐसा भूचाल आया था। जालिम आ रहा था। माल पहले ही पहुंच गया था। या अल्लाह तेरी रहमत। गुलाम अली ने अपने इष्ट का स्मरण किया था। ये रजिया सुल्तान .. ए हिन्दू गर्ल – गुलाम अली अपनी उंगलियों पर माला के मनके की तरह बार-बार फेर रहा था।

“लूट लो जालिम को इस बार।” गुलाम अली का अंतर बोला था। “अकेली रजिया सुल्तान ही जंग जीत लेगी।” उसका अनुमान था। “देखते ही मर मिटेगा जालिम।” वह तनिक सा हंसा था। “संभाल कर रख लो इस हीरे को, गुलाम भाई।” उसने स्वयं को आदेश दिया था।

इस हुए इत्तफाक को गुलाम अली समझने का प्रयास कर रहा था।

कंजर के दरवाजे खुद ही गोह आ कर मरे तो कंजर क्या करे?

गुलाम अली खूब खुल कर हंसा था। उसने फोन बंद ही रक्खा था। उस रात जी भर कर सोया था गुलाम अली।

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड

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