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ये औरतें

ये जो औरते होती है न
रो लेती है अक्सर
ये मरद नही कर सकते
ऐसा
साफ शफाक आखे ले कर
आजाती है
मुस्कुराते हुये
फिर आगन मे
फूफी मासी काकी
से बात करती
नही गिरने देती
एक भी आसू दामन पर
मरद ऐसा नही कर पाते
पता नही कैसे कर मुस्कुरा
देती है ये
भरी आखो से
Surinder kaur

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