मैं फिर से एक खयाल के साथ लाैट आई हूॅं। जालिम का नशा फिर से मेरे दिमाग पर तारी है।
“पागल हाे जाऒगी इस जालिम का पीछा करते-करते।” राॅबर्ट मुझे काेस रहा है। “यह भी काेई सनक हुई यार?” वह मेरी आंखाें में देखता है। “लाेगाें काे प्यार में पागल हाेते ताे सुना था। सुना था .. लाेग ..”
“और अब सुनाेगे कि साेफी रीड ने ..”
“आत्म हत्या कर ली?” चिढ़ कर बाेला है राॅबर्ट। “पागलपन का अंत आत्महत्या ही ताे हाेता है।”
“तुम नाराज हाे राॅबर्ट।” मैं हंस पड़ती हूॅं। शिशु सा भाेला राॅबर्ट का चेहरा मुझे बहुत भला लगता है। “लेकिन राॅबर्ट ..?”
“गाे टू हैल।” राॅबर्ट भाग गया है।
मुझे लगा है जैसे राॅबर्ट मुकाबला छाेड़ कर भागा है। वह मुझे एक मर्द नहीं लगता। मैं किसी भी शिकस्त का मुंह नहीं देखना चाहती। क्याेंकि मैं अब हर तरह से शिक्षित हूॅं अत: अब मैं अपनी दाेगुनी सामर्थ्य के साथ जालिम नाम के इस आतंक से लड़ जाना चाहती हूॅं।
एक छाेटे अंतराल के बाद आज मैं अपनी सूनी पड़ी डैस्क पर पहुंची हूॅं। मेरा मन जी सा गया है। मैं प्रसन्न हूॅं। मैने अपने आस-पास काे आज एक अभिमान के साथ पुकारा है। मुझे आया देख मूडी भी मुसकुराया है। फिर लैरी ने दाैड़ कर मेरा स्वागत किया है। बरनी चला आ रहा है। उसके चेहरे पर भी एक छाेटी मुसकान खेल रही है।
एक चहल पहल है – यहां। मैं इस चहल-पहल के साथ घुल-मिल कर कुछ इस तरह से एकाकार हाे जाती हूॅं जैसे इसी का एक अंग हूॅं।
“और हाे गया एक धमाका।” बरनी मेरे पास आ कर बताता है। “एम्बैसी ही उड़ा दिया।” वह अपने हाथ मसलता है। “आठ अमेरिकन्स की माैत और ..!”
“और ..?” मेरा मुंह फटा का फटा रह जाता है।
“तीन काे उठा कर ले गए हैं!” बरनी आगे बताता है।
“लेकिन कहां पार्टनर?” मुडी ने भी मुंह खाेला है।
“वालीशिया!” बरनी ने उत्तर दिया है। “अमेरिका के लिए सबसे हाॅट स्पाॅट है यह वालीशिया। और जालिम की आंख इस पर है। वह इस देश काे भी अपना देश बनाना चाहता है शायद।”
“लेकिन क्याें?” मैंने पूछा है।
“इसलिए साेफी कि वालीशिया इस जालिम के इरादाें के अनुरूप है। यहां से यह दुनिया पर सत्ता चलाने में कामयाब हाे सकता है।”
“जैसे कि ..?” लैरी आगे भी कुछ जानने काे उत्सुक है।
“वालीशिया ही एक ऐसा देश है जहां दुर्गम पहाड़ हैं, घने जंगल हैं, प्राकृतिक संपदा अकूत है .. और ..”
मेरा मन खिल उठता है। जैसे दाैड़ कर मैं वालीशिया ही पहुंच जाती हूॅं।
“और ..?” मैंने फिर से प्रश्न पूछा है।
“और ..!” बरनी हंस रहा है। “वहां का राजा गाबदू हर साल नंगा नृत्य करती सुंदर स्त्रियाें में से एक रानी चुनता है। इसे ये लाेग ‘गल-मल’ नाम के उत्सव से पुकारते हैं। इस उत्सव पर ..”
“प्रिमिटिव?” लैरी ने अपनी राय दे दी है। “कितना विचित्र है? आज भी, इस सदी में भी मनुष्य जाति ..”
“बुरा क्या है पार्टनर?” मूडी फिर से हंसा है। “आई वुड लाइक टू बी देयर किंग यार।” उसने मजाक किया है।
“और मैं चाहती हूॅं कि मैं वहां जाऊं और इस जालिम की खाेज खबर लूं।” मैं कह देना चाहती हूॅं पर चुप ही बनी रहती हूॅं।
बरनी ने हम सब काे बारी-बारी घूरा है। एक मुआइना जेसा किया है उसने। उसकी निगाहाें में दाैड़ती खाेज काे मैंने पकड़ लिया है।
“किसी न किसी काे ताे जाना ही हाेगा!” बरनी अंत में बाेला है। “अब किसका नंबर पड़े – गाॅड नाेज!”
“क्याें? साेफी काे भेजाे!” लैरी का सुझाव है। “अब ताे पूरी तरह से ट्रेन्ड है साेफी।” वह हंसा है। “क्याें साेफी!” उसने मुझे पूछा है। “कैसी रही तुम्हारी ट्रेनिंग?” उसका प्रश्न है।
मैं बहुत प्रसन्न हूॅं। मेरा बस चले ताे मैं उड़ कर वालेशिया पहुंच जाऊं। लेकिन यहां मन की बात मानता काैन है। यहां के लिए और किए निर्णय ताे ठाेस तर्काें और तथ्याें के आधार पर आश्रित हाेते हैं!
“निरा जाेखिम है। वालेशिया जाने का मतलब है – जान हथेली पर रख कर चलना।” ये मूडी का मत है। “अभी तक बहुत सारे लाेग – खूंख्वार लाेग खप चुके हैं। लाश का पता तक नहीं चलता पार्टनर।”
“लेकिन मुझे अब जाेखिम से डर नहीं लगता।” मैं सहसा बाेल पड़ती हूॅं। “मुझे जान हथेली पर रख कर चलना आ गया है।” मैं घाेषणा कर देती हूॅं। “आई एम नाऒ फुली कंपीटेंट।” मैंने दृढ स्वर में कहा है।
एकबारगी सब ने मुझे नई आंखाें से घूरा है। पर मैं अब नई नहीं हूॅं – यह सब जानते हैं। और यह भी जानते हैं कि मैंने अब जान लेने और अपनी जान न देने की कला भी हासिल कर ली है। “अब मैं काेई बच्ची नहीं हूॅं।” मैंने अपने आप से कहा है।
“जालिम एक हवा है।” लैरी कह रहा है। “जालिम न जल में है, न थल में है। जालिम केवल एक नाम लगता है। जालिम का ताे सिक्का भी चल पड़ा है। उसकी इकाेनाॅमी अब साेने और हीराें के ऊपर आ टिकी है। जब चाहे तब विश्व व्यापार काे तबाह कर दे जालिम।” उसकी आवाज में घाेर निराशा लरज कर बाहर आती है।
“कैसा हाेगा यह आदमी?” मेरी जिज्ञासा आज फिर से भड़क उठती है।
“आदमी नहीं शैतान है यह।” बरनी ने स्पष्ट किया है। “अगर किसी तरह से इसका खात्मा न हाे पाया ताे यह शैतान हम सब काे लील लेगा।”
“बाॅस ने याद किया है, साेफी।” मुझे अचानक सूचना मिलती है।
एक साथ एकबारगी सभी की आंखें मुझ पर आ टिकी हैं। अचानक ही मैं और मेरा नाम महत्व जैसा कुछ पा गया है। अचानक ही एक सपना आकर मेरी आंखाें में बैठ गया है। न जाने क्याें मैं मान लेती हूॅं कि मैं जरूर वालेशिया जा रही हूॅं। यह कठिन और अभेद्य मिशन मुझे मिला है। क्याें? मैं इसका उत्तर भी जानती हूॅं। अब बाॅस क्या कहेगा ..?
अचानक ही नंगी सुंदर स्त्रियाें का नृत्य करता टाेल मेरे आस पास उभर आता है। मेरा मन मयूरा भी प्रसन्न हाे कर उन के साथ-साथ नाचने लगता है – गाने लगता है। मैं न जाने क्याें चाहने लगती हूॅं कि उनका राजा गावदी अब मुझे ही चुनेगा – मुझे ही अपनी रानी बनाएगा .. और फिर मैं ..
फिर से बाॅस का चेहरा मेरे सामने आ कर ठहर जाता है।
बाॅस माने कि – माइक डेट, एक बेहद सुलझा हुआ आदमी। उसका अनुभव और उसके किए कारनामे सभी श्रेष्ठ हैं। अनुशासन का ताे कीड़ा कहा जाता है उसे। उसके काम करने का पैमाना उसे गालियां देते उसके मातहताें से नापा जा सकता है।
“मे आई कम इन सर।” कांपती आवाज में बिलकुल स्कूल की छात्रा की तरह मैं बाेली हूॅं।
मैं बाॅस के सामने खड़ी हूॅं। बाॅस ने मुझे बैठने के लिए नहीं कहा है ताे मैं खड़ी हूॅं।
“यू आर फायर्ड!” बाॅस का मुंह किसी गरजती ताेप की तरह खुला है और मुझ पर वार कर गया है। “टेक इट!” उसने एक लिफाफा मेरी ऒर बढ़ाया है। “यू मे गाे!” कह कर उसने अपनी दृष्टी मेरी ऒर से हटा ली है।
मैं काठ हाे गई हूॅं। मेरा दिमाग गाेली खाए कबूतर की तरह मर गया है। मेरे पैराें का दम भी निकल गया है। मेरा विवेक अब मेरे पास नहीं है।
फिर भी मैं किसी तरह ऑफिस से बाहर आ जाती हूॅं।
मेजर कृपाल वर्मा (रिटायर्ड)