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Tedi Lakir

ध्योमा चाय के दो प्याले लेकर ड्राइंग रूम में चली आई | छवि खड़ा हो गया | ध्योमा ने एक बार उस की ओर देखा | हाथ कांप रहे थे | दिल भर आया था | उसे अपनी आँखों पर विश्वास ही न हो रहा था कि .. उस का सुहाग .. उस का अपना पति .. उस के सामने खड़ा था | उँगलियाँ प्यालों का बोझ न संभाल सकीं | प्याले फर्श पर गिर कर टूट गए ! लगा – किसी सुहागन की चूड़ियाँ टूट गई थीं |

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