कहानी की दुनिया हमारी ही दुनिया की कहानिओं से आकार ग्रहण करती है. जीवन और समाज से अलग उसका कोई चेहरा और यथार्थ नहीं होता. यह जरुरी है की बिना लेखकीय कल्पना के उस यथार्थ को रुचिकर अथवा पठनीय नहीं बनाया जा सकता. कथा मूल्य और उसकी उद्देश्यपरकता का सवाल भी लेखक के अपने अनुभव जगत से जुडा हुआ है. उसकी जीवन संस्कृति और जीवन संघर्ष, दोनों मिलकर ही किसी कथानक को रचनात्मक बनाते हैं.
वरिष्ठ शिक्षाविद और कथाकार श्री मुरारीलाल त्यागी की ये कहानियां कुछ ऐसा ही एहसास कराती हैं.
संग्रह में कुल २० कहानियां हैं. त्यागीजी ने इच्छा व्यक्त की कि मै इन पर टिपण्णी करूँ. अब ये मेरे लिए आदेश की तरह था. यों भी मै कोई कथा समीक्षक नहीं हूँ. कहानियों पर अलग अलग कुछ कहना मुश्किल था श्रमसाध्य भी. इसलिए मेने कहानियों को पढ़कर यह आसन रास्ता निकला की मै इन कहानियों की उद्देश्यपरकता को रेखांकित करूँ.
उम्मीद है, आदरणीय बड़े भाई सौ साल तक इसी तरह तड़पते और लिखते रहेंगे. विनत हूँ उनके प्रति.
- राम कुमार कृषक