दक्षिणी राजस्थान एक जनजातीय बाहुल्य प्रदेश है. इसके उत्थान व् विकास के लिए विशेष कार्यक्रमों, प्रादेशिक योजनाओं की महत्ती आवश्यकता है. दक्षिणी राजस्थान के ग्रामीण व् नगरीय क्षेत्रों में सामाजिक व् आर्थिक सुविधाओं का वितरण असमान है. यही विकास के निम्न स्तर का प्रमुख कारण है. यह पुस्तक दक्षिणी राजस्थान में विकास की स्थिति का अध्ययन करती है. यह दक्षिणी राजस्थान के ६ जिलों, बांसवाडा, भीलवाडा, चितौड़, डूंगरपुर. राजसमन्द व् उदयपुर की कुल ५२ तहसीलों के अध्ययन पर आधारित है. इसमें विकास और पिछड़ेपन के कारकों का विश्लेषण किया गया है. यह पुस्तक भूगोल के पाठकों के लिए ग्रामीण विकास का आकलन करने के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होगी.