सत्य को कितने भी नाम दें या उसे बदलने की कोशिश करें या उसकी सत्ता को पलटने को षड्यंत्र करें वह सनातनी अजर और अमर है. ‘एक सच और’ उक्त कथन की स्वीकृति को ही बलिष्ठता प्रदान करते हुए उसी सत्य को और दृढ़ता के साथ स्वीकृत भी करता है और प्रमाणित करता है.
ऐसे कितने सच हैं जो जाने तो गए पर माने ना गए, पहचाने तो गए पर अनजाने ही रहे. उसी की खोजबीन करने का साहस करती हैं ये कवितायेँ.