प्रस्तुत पुस्तक डॉ. राधाकृष्णन के प्रमुख दार्शनिक विचारों पर आधारित है. डॉ. राधाकृष्णन एक ऐसे समकालीन दार्शनिक हैं जिन्होंने अपने विचारों में प्राच्य एवं पश्च्यात दोनों का समन्वय किया है. इन्होने अद्वेत्वादी परंपरा को पूर्णतया अपनाया है. यही कारण है की इन्होने अद्वेत्वादी परंपरा में नवीन देनों को भी जोड़ दिया है. इन्होने पश्च्यात दार्शनिक ज्लेटो, हेगेल, व्रेउले इत्यादि प्रमुख प्रत्यवादियों के विचारों को भी अपने दर्शन में समाविष्ट किया है. इन सबकी चर्चा प्रस्तुत पुस्तक में की गई है.
प्रस्तुत पुस्तक में डॉ. राधाकृष्णन के प्रमुख विचारों पर भी प्रकाश डाला गया है. चूँकि इनका दर्शन अध्देत्वादी दर्शन चर्चा की गई है शंकराचार्य के प्रमुख विचार जैसे ब्रह्म विचार, भायावाद, इश्वर विचार, जीव-ब्रह्म सम्बन्ध, सांगत विचार, मोक्ष मार्ग, इत्यादि पर प्रकाश डाला गया है.
प्रस्तुत पुस्तक में डॉ. राधाकृष्णन के आध्यत्मि मानव को एक ऐसे धर्म की आवश्यकता है, जो मानव आत्मा को मुक्त करें और मनुष्य के मन में भय का संचार न होने दें. इनके अनुसार आध्यात्मिक धर्म वह है जिसमे प्रत्येक साधक अपने ह्रदय गुफा में छिपे हुए परमात्मा को जाने और उसे जानकार उसे साथ्ज्ञ आस्म्सात कर ले. डॉ. राधाकृष्णन ने अपने दर्शन में बुद्धि की अपेक्षा अंतर्दृष्टि को काफी महत्त्व दिया है, जिसकी चर्चा प्रस्तुत पुस्तक में की गई है. प्रस्तुत पुस्तक में अनेक द्वारा धर्म समन्वय से सम्बंधित विचारों को भी प्रस्तुत किया गया है इनके अनुसार सभी धर्म विधि मार्ग हैं, जो अंत में एक ही लक्ष्य की ओर ले जाता है और अंत में केवल एक ही आध्यात्मिक परम सत को प्राप्त करते हैं.