क्या है भाग्य का खेल? इस पुस्तक के प्रमुख पात्र देवराज, रूबी, साक्षी, माइकल के जीवन में अद्भुद खेल हो रहे थे व्यापर, राजनीति, ज्योतिष का ऐसा अद्भुद खेल जो यह महसूस करता है. भले जी जन्म इश्वर देता है मनुष्य योनी में किन्तु भाग्य स्वयं मनुष्य अपने कर्मो से निर्माण करता है. ऐसा ही कुछ तो हुआ उपरोक्त पात्रों के साथ संतों का मानना है. अज्ञान पाप है किन्तु ज्ञान पूण्य है. जो दीखता है वह सत्य नहीं है होता जो नहीं दीखता है वाही सत्य होता है. अनेकों रहस्यों से भरी पड़ी हैं.