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Apradhilal

‘में .. में .. चाहती हूँ की लड़ाई देखूं | देखिये न .. आधुनिक युद्ध-प्रणाली पुरानी से कितनी भिन्न है | यहाँ कोई अजनबी आकर भला कह सकेगा की ..|’

तभी भीषण निनाद करता हुआ एक फाईटर बोम्बर उनके ऊपर से गुजरता है | पेड़ों की चोटियों की ऊंचाई पर सर्राटे से दौड़ता ये विमान मानस के कलेजे हिलाकर धर देता है | प्रतिमा कुर्सी पर बैठी पीली पड़ जाती है | जहाज भयंकर स्वप्न की तरह आया-गया हो जाता है |

‘डरिये मत | अपना है |’

‘कहाँ जा रहा है?’

‘धंधा करने| भाई को कोई टास्क मिल्क होगा| अब आया धूम-धडाका करके| आई टेल यू, दे आर सुपर्ब| अभी थोडा अँधेरा होने दो तब देखना ..|’

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