इस प्रस्तुति में न तो कोई नायक है और न ही कोई नायिका. अपनी इस प्रस्तुति में हबीब लोक की प्रतिष्ठा की ओर उन्मुख हुए हैं. हबीब ने इसमें पश्चिमी नाट्य प्रयोगों को नहीं अपनाया है. वास्तव में उन की कोशिश है जन से जुड़ने की.
इस प्रस्तुति में न तो कोई नायक है और न ही कोई नायिका. अपनी इस प्रस्तुति में हबीब लोक की प्रतिष्ठा की ओर उन्मुख हुए हैं. हबीब ने इसमें पश्चिमी नाट्य प्रयोगों को नहीं अपनाया है. वास्तव में उन की कोशिश है जन से जुड़ने की.