‘आयाराम गयाराम का दुखड़ा’ नामक आलेख संग्रह राजनैतिक, हास्य व्यंग का एक प्रारूप हैं. ऍम उपेन्द्र प्रोफेशन से अर्थशाश्त्र के प्राध्यापक पर लेखन शैली के तेवर में परसाई, शरद जोशी और ओमप्रकाश त्यागी के सच्चे हमराही. ऍम उपेन्द्र का कथन है की पुरुषों की महानता के पीछे औरत होती है. वह जरुरी नहीं की पत्नी ही हो. “कौन? किसके पीछे, .. ब्रह्म-सत्य जगत मिथ्या, गिरगिट राम की अपील नामक लेख जहाँ सामाजिक-राजनितिक व्यंग के तिलिस्म को उजागर करते हैं वहीँ पछताना कुवारे रह कर बाजार गए पत्नी के साथ, तथा पधारिये, घर आपका है पारिवारिक सामाजिक व् आर्थिक व्संगातियों के आईने को दर्शाता है.
लोकार्पण समारोह का मतलब, स्कैनिंग काव्य-गोष्ठियों का तथा विषय विचाराधीन है नामक व्यंग लेख हैदराबाद आंध्रप्रदेश के ही नहीं बल्कि भारत के हर शहर, हर प्रशाशन क्षेत्र और साहित्यिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की पोल खोलते हैं पुरे के पुरे मानव मन की पेचीदगियों के साथ. किराय के मकान नमक आलेख का दर्द कोई मुक्तभोगी किरायदार ही अपनी आत्मा की गहराई से महसूस कर पायेगा.
ऍम उपेन्द्र की मातृभाषा कन्नड़ है, पर वे सांस्कृतिक दृष्टि से तेलगु परिवेश में विकसित हुए हैं. पर पहचान भारतीय लेखक के रूप में अर्जित की है और सोच अंतर्राष्ट्रीय विजन की है. कहना न होगा की विवेच्च संग्रह में समाजवाद नामक हास्य-व्यंग लेख प्रगतिशील सोच-संवेदना एवं विडम्बना के हाशियों को पार्ट दर पार्ट खोलता है.
दक्षिण के कोटिल्य ऍम उपेन्द्र हिंदी साहित्य जगत में समादृत ही नहीं बल्कि रेखांकित होने वाले हस्तक्षर हैं.