आज, साहित्य की समस्त विधाएं एक विश्वव्यापी पूणजागरण की ओर संकेत कर रही हैं| कहानी के माध्यम से समाज में आई चेतना को मुखरित किया है आज की चैतन्य सहित्य्कारा डॉ. मधु धवन ने| आज की स्त्री अपने जड़ रूप को त्याग कर आज की उन्मुक्त और प्रगतिशील नारी बन चुकी है|