जन्म से मृत्यु तक कभी इस रहस्यमयी यात्रा के अद्भुद यात्रा के बारे में मनुष्य योनी प्राप्त होने के बाद हमने सोचा क्या है, यह जीवन क्या है, यह मृत्यु. किसकी मृत्यु होती है. जन्म लेते ही योग के शिकार हम हो जाते हैं. धर्म के अनुसार सब माया का खेल है. तो जब शारीर जर्जर, और वृधावस्था आती है, तो हम यह सोच कर क्यों रोते हैं की हमने सम्पूर्ण जीवन में क्या खोया क्या पाया. ऐसा ही हाल उपन्यास के प्रमुख पात्र साक्षी, देवराज, रोजी, रूबी, मोहन के साथ भी हुआ.