” फ़िर आज क्या देखा.. आपने! सपने में!”।
” अरे! आज, आज.. कुछ नहीं.. बस! बहुत सारी हरियाली सी और बारिश देखी थी।”।
” अच्छा! अब इस सपने का क्या मतलब है!”।
” greenery और बारिश देखना.. मैने सुना है.. अच्छा होता है”।
अक्सर गहरी नींद आने पर, सपनों में खो जाती हूँ, मैं। और मुझे मेरे सपने पूरी तरह से याद रह जाते हैं.. जो मैं अपने बच्चों के साथ अक्सर बाँट देती हूँ.. और किस सपने को देखने से हमारे चल रहे जीवन में क्या होता है.. समझाती आई हूँ।
ये जो सपने मैं देखती हूँ, मेरे देखने में यह आया है.. कि न जाने क्यों मेरे निकाले हुए, अर्थ लगभग सही निकल आते हैं।
” अरे! क्या हुआ..? उदास लग रही हो ! माँ..! क्या फ़िर कोई सपना देखा!”।
” हम्म! क्या बताऊँ! आज मैंने सपने में शादी-ब्याह देख लिया! मेरा दिल बहुत घबरा रहा है”।
वाकई! में जब भी कभी मैं सपने में शादी-ब्याह देख लेती, तो कहीं से किसी अपने को खोने की ख़बर ज़रूर मिल जाती।
नए कपड़ों की खरीददारी भी अच्छी नहीं हुआ करती थी, सपनों में।
और गाय को देखती तो कुछ अच्छा हो जाता.. पर भैंस का सपने में आना.. तो फ़िर किसी बुरी ख़बर का आगमन हुआ करता था।
और, और भी कई तरह के सपने, और उनके मेरे अपने हिसाब के अर्थ।
पर न जाने क्यों, मेरे सपने और इन सपनों से मेरे जीवन का जुड़ाव अक्सर ही सच निकल जाता है।
मेरा हर सपना और ज़्यादातर मेरी उस सपने को लेकर सोची हुई, घटना.. सच में बदल जाती है।
क्या हैं.. ये सपने..?
क्यों ये मेरे किसी सच को दर्शा जाते हैं।
पता नहीं कौन सी बातें और घटनाएं हैं.. जो घटित होने से पहले ही सपनों में किसी न किसी रूप में आतीं हैं.. और फिर सही में मेरे जीवन से जुड़ जाती हैं।
कैसे सपने हैं, मेरे! और कैसा इन सपनों का अजीब सा सच है.. समझ नहीं पाती हूँ.. और फ़िर किसी अपने ही नए सपने में खो सी जाती हूँ।