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पिता

हमें अपनी जरूरतों की कुर्बानियों पर पाला है ,
हमारी शख्सियत में अपने संस्कारों को डाला है ,
हमारी हर ख्वाहिशों को यूँ चुटकियों में पूरा कर डाला है ,
लगता है हमारे पिता ने अलादीन का चिराग ढूंढ निकाला है।

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