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पराठां

क्या खाओगे

बोलो बच्चों

उबले आलू

रखें हैं!

कहो तो

पराठां बना 

दूं इनका

नहीं तो

सब्ज़ी के

लिए भी

अच्छे हैं!

आलू पराठां

सुन कूदे

हम बच्चे

बोले माँ

छोड़ो सब्ज़ी

के झंझट को

आलू पराठां

खाइयेंगे आज

हम

अपनी नन्ही

हथेलियों से

छिल के आलू

बोली माँ

लाओ धनिया

मिर्ची बच्चों!

पराठें बना 

दूं चटक से

आज मैं

मस्त पराठें

खा मस्त

हो जाओ

और आज

इन आलुओं

में तुम खो

जाओ

सच! मस्त

पराठें बनाती

थी माँ

भर-भर आलू

होते जिनमें

एक ही

पराठां चक्क

कर देता

जब हम

थे बचपन में।

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