Site icon Praneta Publications Pvt. Ltd.

पालतू

Paaltu

पहले लोगों को कोई भी पालतू जानवर पाला हुआ, देख! बहुत ही अजीब सा लगता था.. सोचा करती थी, अरे! क्या मुसीबत का काम है.. बेकार ही मुसीबत पाल रखी है।

पर नहीं! जब से प्यारी कानू मेरे जीवन का हिस्सा बनी है.. तब से मैं यही भूल गयी हूँ! कि यह एक कुत्ता है.. या फ़िर मैने मुसीबत पाली हुई है।

कानू को देख मुझे उसमें मेरी प्यारी सी बच्ची का अहसास होता है.. न कि, किसी जानवर का।

सच! ये कहना कि, किसी जीव को पालतू बनाकर उसे प्यार और संरक्षण देना.. बेकार और मुसीबत है, तो यह ग़लत है।

बल्कि यह अंबोल प्यारे से जानवर हमारे संपर्क में आकर हमारा प्यार पाने के बाद, हमारे अच्छे मित्र साबित होते है।

इंसान से कहीं ज़्यादा वफ़ादार होते हैं, साथ ही अपने मालिक का कभी बुरा नहीं चाहते।

हर कीमत पर अपने-आप से ज़्यादा हमें चाहने लगते हैं। इनका प्यार और हमारे लिए समर्पण निस्वार्थ होता है।

इसलिए पालतू शब्द भी नहीं! हमारे अपनो से भी कहीं ज़्यादा अपने और शायद एक अटूट रिश्ते के काबिल होते हैं.. ये मासूम जीव।

Exit mobile version