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खानदान 144

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पिता के घर आते ही.. प्रहलाद अपने दाख़िले को लेकर पीछे लग गया था..

” पापा वो दादू के गाँव वाली ज़मीन बेच देते हैं.. उनसे जो पैसे आएँगे.. मेरी फ़ीस भर देना आप!”।

रमेश का सारा परिवार इसी बात को लेकर रमेश के पीछे लग गया था.. लालची दिमाग़ का रमेश! जिसे केवल पैसों की भाषा ही समझ आती थी..  एकबार तो तेज़ी में आ कर बोल उठा था,” अरे! हिस्सा तो मेरा निकलेगा!”।

प्रहलाद रो पड़ा था..” अरे! आप चलो! हरियाणा और मेरा दाखिला करवाओ!”।

प्रहलाद का रोना और सुनीता की ज़िद्द देखकर रमेश के दिमाग़ में क्षणिक बदलाव आया था.. क्योंकि ज़मीन के मामले में दर्शनाजी की सहमति ज़रूरी थी.. इसलिए रमेश भागकर अपनी माँ के पास पहुँचकर कहने लगा था,” फ़ोन लगाइए! हरियाणे! प्रहलाद ख़ातर जमीन की बात करनी सै!”।

दर्शनाजी के हाथ में रमेश ने फ़ोन थमा दिया था..  माताजी ने ज़मीन की बात गाँव में करने से रमेश को बिल्कुल भी इंकार नहीं किया था.. कहीं न कहीं मिली भगत थी.. रमा, दर्शनाजी और विनीत की.. जिससे रमेश तो अनजान था ही.. पर सुनीता भी अनजान थी।

” Hello! ये मैं दर्शना बोलूँ सूं! इंदौर ते..!.रमेश के छोरे का नाम आ गया है.. बैंगलोर में! दाख़िले ख़ातर पाँच-लाख रुपियाँ की ज़रूरत सै! तूँ रमेश की ज़मीन गहन धर के पैसों का इंतेज़ाम करदे ने!”।

दर्शनाजी ने कान पर फोन लगाते हुए. अपने देवर से बात की थी.. जो की रामलालजी के हिस्से पर खेती कर रहा था.. और तीनों माँ-बेटा हिस्सेदार थे। दर्शनाजी ने रमेश की ज़मीन को गिरवी रखते हुए.. प्रहलाद के दाखिले के लिए पाँच-लाख रुपये की माँग रखी थी.. शातिर दिमाग़ औरत भली-भाँति जानती थी.. ज़मीन गिरवी रखने के बाद और रमेश को पैसे मिलने से ज़मीन का ब्याज रमेश पर चढ़ता चला जाएगा.. जिसे वो कभी चुका ही नहीं पाएगा! और हिस्से से हाथ धो बैठेगा!

” देखा..!! कितनी चालक निकली.. इसनें ये क्यों बोला.. मेरा नाम लेकर, कि इसकी ज़मीन का हिस्सा गिरवी रख दो! इसनें ये क्यों नहीं बोला.. की हमारी ज़मीन पर पाँच-लाख रुपये चाहियें”।

खैर! गाँव में बातचीत हो चुकीं थीं.. और गाँव से उनके देवर उन्हें पैसे देने के लिए बिल्कुल भी मना नहीं कर पाए थे। पुश्तेनी ज़मीन थी.. और रामलालजी का हिस्सा था.. इतने सालों से कभी-भी रामलालजी ने अपने भाईओं से हिस्से की माँग नहीं रखी थी.. रामलालजी का हिस्सा भी उनके भाई ही खा रहे थे।

ज़मीन के पैसे आने के बाद तो हो ही गया होगा.. प्रहलाद का बैंगलोर में दाखिला! जानने के लिए जुड़े रहें खानदान के साथ।

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