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खानदान 127

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” आप मेरी बात मान जाओ! वो लड़की ग़ुस्से में और थाने से ही बोल रही थी.. वो और कहीं भी नहीं थी.. अगर आप अभी पुलिस-स्टेशन नहीं पहुँचे तो वो यहाँ घर आ जाएगी, और वो तमाशा खड़ा होगा.. जो दुनिया देखेगी!”।

रमेश एकबार सुनीता की बात पर कुछ कहने ही वाला था.. पर कहते-कहते रुक गया था। अबकी बार बात दिमाग़ में बैठ गयी थी.. कहीं ऐसा न हो, कि वाकई घर के बाहर पुलिस आकर खड़ी हो जाए और मेरा तमाशा बनकर रह जाए। यही सब सोचकर रमेश फ़ौरन घर से भाग खड़ा हुआ था।

लड़की का तमाशा हमेशा की तरह से प्रहलाद और नेहा के सामने ही हुआ था..  बच्चे तुरंत ही यह बात बताने के लिए अपनी दादी और ताऊ के पास भागे चले गए थे..

” आपको पता है! ताऊजी वो लड़की जो पापा के साथ घूमती थी.. और आइस-क्रीम खाती फिरती थी.. अभी दस से पंद्रह मिनट के अंदर पुलिस लेकर आ रही है”।

बच्चे खबर पहुँचाकर भागे चले आए थे। बच्चे तो बच्चे ही होते हैं.. आख़िर! सोच।रहे थे.. चलो! ताऊ दादी मदद ही मिल जाएगी.. पर क्या जानते थे.. कि नीचे अपने कमरों बैठ ताऊ और दादी इस बात का जमकर मज़ाक बना रहे हैं।

” देखा! बेशर्म कहीं की..!! पहले तो हमारी गाड़ी में घूमती फ़िरती थी.. हम घर में बैठे रह जाते थे.. और यह पापा के साथ.. मौज मनाती फ़िरती थी.. गाड़ी के सीट कवर भी फाड़ डाले थे.. बैठ-बैठ कर.. मोटी ने..!!।

बच्चे रमेश के जाने के बाद और ताऊ और दादी को यह ख़बर देने के बाद ख़ुद से ही बड़बड़ा रहे थे।

” लड़की आने वाली होगी! पुलिस लेकर!”।

बच्चे छत्त पर खड़े हो.. सड़क की तरफ़ इशारा करते हुए, बोले थे।

” मुझे काली के मंदिर जाना है..!!”।

अरे! ये रामलालजी के परिवार में पाठ-पूजा और मंदिर कहाँ से आ गए.. और नया भक्त कौन पैदा हो गया है। हमारे खानदान के इस पूजा-पाठ में आप भी हमारे संग शामिल हों.. और आकार मिलें इस नए भक्तगण से।

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