Site icon Praneta Publications Pvt. Ltd.

गाजर

GAAJAR

मीठी प्यारी सी धूप.. और ताज़ी पौष्टिक सब्जियों के संग सर्दियों की शुरुआत हो चुकी है। शरद ऋतु में आने वाली सब्जियों का स्वाद ज़्यादातर सभी के मन को भाता है। हमारे बच्चे तो इस ऋतु की सभी सब्जियों के शौकीन हैं.. पर सबसे ज़्यादा तो बच्चों को गाजर और मटर की सब्ज़ी ही भाती है।

अब कल ही की बात है..

” आप गाजर का हलवा बना दोगी!”।

” हाँ! पर अभी गाजर शुरू नहीं हुईं हैं.. बना देंगें”।

” ठीक है.. फ़िर!”।

बच्चों के गाजर के हलवे वाली बात से एक छोटे से क़िस्से की याद ने हमारा भी लाड़ ताज़ा कर दिया था..

” बता सकती है… ये खेत में क्या लगा हुआ है!”।

” हम्म! जी पिताजी..! गाजर!”।

” भई! वाह..! तुझे कैसे पता चला कि यह खेत गाजर का ही है!”।

” अब मैं तेरी शादी कर देता हूँ.. समझदार हो गयी है!”।

पिताजी संग दिल्ली से बहादुर गढ़ जाते वक्त रास्ते में गाजर का खेत पड़ा था.. और वे हमसे सवाल पूछ बैठे थे.. वो ऊपर हरे रंग की डंडी देख.. हमनें अंदाज़ा लगा लिया था.. कि मौसम भी सर्दी का है.. तो हो न हो.. गाजर ही हैं.. जवाब सही निकला था..

बात गाजर और उसके सवाल की नहीं है. पर कुछ बातें और कुछ छोटे-मोटे किस्से जीवन के पन्ने पर कुछ इस तरह छप जाते हैं.. कि मन जब भी उस पन्ने को पलटता है.  तो अपनों की खुशबू और वही प्यार एकबार फ़िर ताज़ा हो जाता है।

Exit mobile version