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दुल्हन

dulhan

शादियों का सीजन शुरू हो गया है.. किसी न किसी वेडिंग फंक्शन में आना-जाना लगा ही रहता है।

शादी-ब्याह के फंक्शन का मुख्य आकर्षण होता है.. दूल्हा-दुल्हन की जोड़ी।

इस जोड़ी पर नज़र पड़ते ही.. अपना ज़माना याद आ जाता है..

अपने मुहँ मिया मिट्ठू होना अजीब सा लगता है. पर जब भी किसी दुल्हन पर नज़र पड़ती है.. तो तुलना में हम अपने-आप को ही अधिक सुंदर पाते हैं।

वाकई में लाल रंग के लहंगे में हमारी खुबसूरती को चार-चांद लग गए थे.. अपने दुल्हन वाले दिन को याद कर.. चेहरा गुलाब सा खिल जाता है।

जवानी के दिनों में ऊपर वाले ने सुंदरता तो दी ही थी.. और ब्याह वाले दिन ब्यूटी पार्लर वाली मैडम ने खुबसूरती को निखार कर रख दिया था।

बहुत लम्बा वक्त बीत गया है.. काश! फिर से मुड़कर खुबसूरती के उन अनजान लम्हों को फ़िर से जिया जा सकता हो!

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