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सॉरी बाबू भाग दो

सॉरी बाबू

धारावाहिक – 2

‘यादें हैं …फरियादें हैं ….झगड़े – टंटे हैं …और हैं – तुम्हारे बोल , तुम्हारे कहे संवाद , बाबू । कैसे भूल जाउं – जब तुमने मुझे बॉहों में भर कर कहा था – नेहा । तुम्हीं मेरा जीवन- जगत हो । मैंअब नेहा-मय हो चुका हॅू । मुझे अब नेहा के सिवा और कुछ दिखाई ही नहीं देता । सच मानो नेहा , मैं न जाने क्यों तुम से इतना जुड़ गया हॅू ….जितना कि जिन्दगी मौत से जुड़ी होती है ?

मौत ….। मौत ….।। मोत …।।। बे- रहम मौत ….बाबू की बे- रहम मौत । उस बाबू की मौत जाे मेरा प्रेम- धन था ….मेरा धरा- धाम और मेरा सब कुछ वही था । जिस ने मुझे – मुझ गिरारे की धूल को चंदन मान कर मांथे चढ़ा लिया था – उस की मौत ….?

नेहा रो रही थी । नेहा के ऑसू न थम रहे थे । नेहा के चुटीले एहसास उसे बेदम किये थे । उसे विक्रांत की यादें आ-आकर सता ही थीं । उसे उनअनभोर के उत्तप्त पलों का एहसास …और उन का वह एकांत …जो उन्हों ने अलग से भोगा था, नेहा को खाये जा रहा था ।

‘तुम ने तो मुझे अपने मन की मलिका बना लिया था । ये मैं जानती हॅू …और मानती भी हॅू , बाबू । और मैं भी तो तुम्हारे प्रेम की पूर्ण गहराईयों में अपांग डूब चुकी थी ? मैं भी तो तुम्हारे प्यार में बाबली हो गई थी ? प्रेमाकुल हुआ मेरा मन ….पपीहे की तरह तुम्हें ही बार- बार टेरता …हर बार तुम्हें ही बुलाता…। तब अचानक ही मेरी ऑखों में आग्रह उमड़ आते …। याद है ,बाबू । जब मैं कहती…. ‘बाबू । क्यों नहीं खा लेते हो – मुझे ? चबा डलो न मेरी ये सुन्दर काया ? है तो ये तुम्हारी …पर मैं आग्रही हॅू , बाबू । हॉ,हॉ , बाबू । रूक मत जाना …ठहरना मत मेरे मतवाले वीर । देखो । मैं बहक रही हॅू …। संभालो मुझे मेरे बाबू । हॉ,हॉ , बाबू । मैं तो अब तुम्हारे ही साथ रहूॅगी …जीउंगी …मरूंगी …’

‘अरी, ओ ।’ भूरो गर्रा उठी है । ‘टसुये बहाती रहेगी …। पर कब तक …? तन्ने तो उमर कैद मिलेगी ।’ भूरो मुझे कठोर निगाहों से घूर रही है। ‘जौन कुकरम पाथ कै आई है न तू …सुलझेगी नहीं ….।’ दो टूक बात कहती है , भूरो । ‘मैं भी तो पड़ी हॅू , भैना ।’ उसने आह भरी है । ‘चोखा – भला आदमी था …पन हो गईअकिल खराब ?’

नेहा चुप है। उस का रोना भी थम गया है । भूरो की कही विपदा उस के मन में घूम रही है । उम्र कैद मिलेगी -बार- बार कह रहा है , कोई ।

‘मैं अब नहीं डरती, बाबू ।’ धीमे से कहा है , नेहा ने । ‘जल गया – मेरा तो आंगन …? अब इस आग से डरूं भी तो क्यों ?’

नेहा ऐलान करती है ।

क्रमश: ……..

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