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दशमुख रावण मन

रावण आज फिर कहीं मुस्कुराया होगा
जब हजारों रावणों ने उसे जलाया होगा
सोचा होगा अपने प्रतीकों को जलते देखकर
लोगों ने खुद में तो मुझे ही जिलाया होगा
उसे मायूसी भी हुई होगी इन रावणों को देखकर
जब इन्होंने उसकी बुराइयों को केवल अपनाया होगा।

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